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कोरोना मारी कभी इधर कभी उधर दौड़-भाग का टीका वो ब

कोरोना मारी
कभी इधर
कभी उधर
दौड़-भाग का टीका 

वो बेचारी
भाग्य कीकर रही थी
पल-पल मर रही थी
बार-बार वहाँ से हटाई जा रही थी
टीका नहीं लगा,संक्रमित बताई जा रही थी

वह विधवा राशन लेने आई थी
सड़ी गेहूँ, जो नेता ने भिजवाई थी

मगर वहाँ भी सफेदपोश खड़े थे
हड़प जाने को सब,यूं अड़े थे

गुहार लगाती बार -बार
कर रही चीख -पुकार

मगर अंधे-बहरे गिद्ध
अपना  स्वार्थ कर रहे सिद्ध

किसी ने पूछा-क्या चाहती हो?
टीका लगवा लो,क्यों सबको मारती हो?

बेटा, मैं गयी थी टीका लगवाने
मगर लाइन से सब लगे मुझे हटाने
सबसे की प्रार्थना, सबको ही मनाया
किसी को भी मुझ पर तरस नहीं आया

थक-हार कर लौट गयी घर
भूख- से बच्चे मरे,तड़प कर
संवेदनाओं का ज्वार उमड़ा फिर
भावनाओं का बुखार चढ़ा फिर
सब हमदर्दी दिखाने लगे
अपनी बेदर्दी छुपाने लगे
मगर संतान- विरह में तड़प
माँ के प्राण ,यम गए हड़प

समाज का बस यही चेहरा है
जेब में पैसा है तो तेरा है,मेरा है।

©Gurdeep कोरोना का टीका 
#Stars
कोरोना मारी
कभी इधर
कभी उधर
दौड़-भाग का टीका 

वो बेचारी
भाग्य कीकर रही थी
पल-पल मर रही थी
बार-बार वहाँ से हटाई जा रही थी
टीका नहीं लगा,संक्रमित बताई जा रही थी

वह विधवा राशन लेने आई थी
सड़ी गेहूँ, जो नेता ने भिजवाई थी

मगर वहाँ भी सफेदपोश खड़े थे
हड़प जाने को सब,यूं अड़े थे

गुहार लगाती बार -बार
कर रही चीख -पुकार

मगर अंधे-बहरे गिद्ध
अपना  स्वार्थ कर रहे सिद्ध

किसी ने पूछा-क्या चाहती हो?
टीका लगवा लो,क्यों सबको मारती हो?

बेटा, मैं गयी थी टीका लगवाने
मगर लाइन से सब लगे मुझे हटाने
सबसे की प्रार्थना, सबको ही मनाया
किसी को भी मुझ पर तरस नहीं आया

थक-हार कर लौट गयी घर
भूख- से बच्चे मरे,तड़प कर
संवेदनाओं का ज्वार उमड़ा फिर
भावनाओं का बुखार चढ़ा फिर
सब हमदर्दी दिखाने लगे
अपनी बेदर्दी छुपाने लगे
मगर संतान- विरह में तड़प
माँ के प्राण ,यम गए हड़प

समाज का बस यही चेहरा है
जेब में पैसा है तो तेरा है,मेरा है।

©Gurdeep कोरोना का टीका 
#Stars

कोरोना का टीका #Stars #ज़िन्दगी