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रूहानी हो गया मौसम कि रूहें जग गई होंगी, हवाएँ तेज

रूहानी हो गया मौसम कि रूहें जग गई होंगी,
हवाएँ तेज हो आयी कि आंधी जग गयी होगी,
मैंने पुरजोर कोशिश की बहा ले जाये तू मुझको,
यहाँ पर मैं ही वजनी था या कयामत सो गई होगी।

विकास की कलम से दर्दभरी सायरी
रूहानी हो गया मौसम कि रूहें जग गई होंगी,
हवाएँ तेज हो आयी कि आंधी जग गयी होगी,
मैंने पुरजोर कोशिश की बहा ले जाये तू मुझको,
यहाँ पर मैं ही वजनी था या कयामत सो गई होगी।

विकास की कलम से दर्दभरी सायरी