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Tum se ek shikayat hai ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए

Tum se ek shikayat hai ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है।
मैं हूँ दीवाना तेरे हुश्न का, तू मेरे इश्क़ की किताब है।
है रोशन जिससे तेरी ये अदाएं भी, न जाने कौन सा चिराग है।
तू चाहे आज़मा जितना, तुझ पर इश्क़ मेरा बेहिसाब है।
पर जाने क्यूँ दिखती नहीं, तुझे मोहब्बत बेपनाह मेरी।
तेरी नज़र-ए-दिल पे पड़ा, कैसा ये हिज़ाब है।
ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है।
नूर-ए-आफ़ताब है।

Written by - Ankit Paliwal नूर-ए-आफ़ताब
Tum se ek shikayat hai ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है।
मैं हूँ दीवाना तेरे हुश्न का, तू मेरे इश्क़ की किताब है।
है रोशन जिससे तेरी ये अदाएं भी, न जाने कौन सा चिराग है।
तू चाहे आज़मा जितना, तुझ पर इश्क़ मेरा बेहिसाब है।
पर जाने क्यूँ दिखती नहीं, तुझे मोहब्बत बेपनाह मेरी।
तेरी नज़र-ए-दिल पे पड़ा, कैसा ये हिज़ाब है।
ए हसीन तू इस जहाँ में नूर-ए-आफ़ताब है।
नूर-ए-आफ़ताब है।

Written by - Ankit Paliwal नूर-ए-आफ़ताब