इश्क़: Online से Offline तक एक दूसरे को तो नहीं देखा था मगर दिल तो बेचैन रहता था अजब सी मुश्किलों में थे दोनो दिल उनका ग़म ए जुदाई सेहत था Online उनकी नज़र चार हुईं पर दिल अब और बेचैन रहता था अभी भी मिले न थे दोनो लेकिन एक आग में दिल भुना करता था आखिरकार दोनो फिर करीब आए. दरमियाँ अब कोई स्क्रीन न था दिल, दिल की आवाज़ सुनता था गुलों का लिपटना तो बनता था उफन उठा एक शैलाब का शोर और दरिया ए खुल्द अब बहता था और क्या हो उस रात का बयान पल पल एक सपना पूरा होता था मगर दिल तो बेचैन रहता था मगर दिल तो बेचैन रहता था दारिया ए खुल्द = जन्नत की नदी, heavely river #love #online #erotic #date #nojotohindi #nojotourdu #shayri #sensual #nojotoerotica