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प्रकृति का संतुलन (अनुशीर्षक में पढ़ें) प्रकृति

प्रकृति का संतुलन 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) प्रकृति का संतुलन 

मैं हूँ प्रकृति, कभी थी हरी-भरी मैं,
अब हूँ बंजर, तन्हा और उदास 
मानव हो गया है गैरजिम्मेदार,
नहीं है उसे अपनी ग़लतियों का आभास 

पेड़ों को काटकर कर दिया है उसने सब प्रदुषित,
प्रकृति का संतुलन 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) प्रकृति का संतुलन 

मैं हूँ प्रकृति, कभी थी हरी-भरी मैं,
अब हूँ बंजर, तन्हा और उदास 
मानव हो गया है गैरजिम्मेदार,
नहीं है उसे अपनी ग़लतियों का आभास 

पेड़ों को काटकर कर दिया है उसने सब प्रदुषित,
poonamsuyal2290

Poonam Suyal

Bronze Star
Growing Creator