पसंद करोगे तो भी लिखेंगे हम। ना पसंद करोगे तब भी लिखेंगे हम। हमे किसी सत्ता के भय का खौफ नही। जनता की झूठी संबेदनाओ की जरूरत नही । सच लिखा करते है। सच ही लिखेंगे। किसी की झूठी और बेईमान मानसिकता की जरूरत नही।(१) किसी को हिंदू ,किसी को मुसलमान लिखती है कलम। जब माइक पर आ जाती है । दोनों का मजहब और धर्म, अलग- अलग बोलती है कलम। जो दंगे भड़काता है ,आग लगाता है । फिर उन कट्टरपंथियों और उग्रवादियों नेताओं को बहस में, टीवी चैनल पर क्यूं बुलाती है कलम।(२) जैन नवीन ©Naveen Jain कविता टॉपिक - कलम #hills