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नई शादी से छोटा सा संसार बढ़िया चल रहा था। अमित को

नई शादी से छोटा सा संसार बढ़िया चल रहा था। अमित को ऑफ़िस के लिए सुबह 8 बजे घर से निकलना होता था। आशा लंच बॉक्स रेडी करके ही पति को नींद से जगाती और इसके लिए अमित कभी कभी गुस्सा भी हो जाता कि लंच बॉक्स के चक्कर में ऑफ़िस के लिए देरी नहीं चलती है। एक दिन आशा देर से उठी तो लंच बॉक्स के चक्कर में पति को देरी से उठाया, अमित गुस्से में तैयार हो कर बिना लंच बॉक्स लिए ही ऑफ़िस के लिए निकल लिया। पत्नी कई देर तक अकेली सोचती रही सोचती रही एक तो टिफ़िन बनाओ ऊपर से बातें सुनो। उसने बैग में एक दो ड्रेस ली,पड़ोसी को घर की चाबी देते हुए कहीं चली गई। अमित रात को घर लौटा,चाबी तो मिल गई पर आशा का पता नहीं चला, पड़ोसी पर भी गुस्सा हुआ कि ठीक से पूछना तो था कि जा कहाँ रही हो। परेशान होकर ससुराल फोन लगाने का सोचा ही था कि नजदीकी शहर में रहने वाली उसकी पत्नी के फूफाजी का फोन आया कि आशा यहाँ आ गई है और उसे अपनी करनी का अहसास है, अफसोस है,हम सब उसकी ओर से आपसे क्षमा मांगते हैं, आपको समय हो तो आप लेने आ जाइये नहीं तो सुबह उसको ही भेज देंगे। आप कोई भी बात दिल पर मत लेना जमाई जी,सांसारिक जीवन में छोटी मोटी बातें होती ही रहती है, वो परेशान थी तो यहाँ आ गई,आप कतई बुरा नहीं मानिएगा। बस फिर क्या अगले दिन दोनों पति पत्नी अपनी कारगुजारी पर लंच बॉक्स की तरफ देखते खिलखिला कर हँसे जा रहे थे। #yostowrimo में आज की कहानी का विषय है - वापसी। यह वापसी किसी भी तरह की हो सकती है। कई बार हम निश्चय कर रखते हैं कि ऐसा ही करके लौटेंगे मगर ऐन वक़्त पर कुछ अलग ही निर्णय लेना पड़ता है और हम वापिस मुड़ जाते हैं। 
प्रेम से लेकर जीवन के विभिन्न व्यापार में ऐसा होता रहता है। 
#वापसीकहानी  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
नई शादी से छोटा सा संसार बढ़िया चल रहा था। अमित को ऑफ़िस के लिए सुबह 8 बजे घर से निकलना होता था। आशा लंच बॉक्स रेडी करके ही पति को नींद से जगाती और इसके लिए अमित कभी कभी गुस्सा भी हो जाता कि लंच बॉक्स के चक्कर में ऑफ़िस के लिए देरी नहीं चलती है। एक दिन आशा देर से उठी तो लंच बॉक्स के चक्कर में पति को देरी से उठाया, अमित गुस्से में तैयार हो कर बिना लंच बॉक्स लिए ही ऑफ़िस के लिए निकल लिया। पत्नी कई देर तक अकेली सोचती रही सोचती रही एक तो टिफ़िन बनाओ ऊपर से बातें सुनो। उसने बैग में एक दो ड्रेस ली,पड़ोसी को घर की चाबी देते हुए कहीं चली गई। अमित रात को घर लौटा,चाबी तो मिल गई पर आशा का पता नहीं चला, पड़ोसी पर भी गुस्सा हुआ कि ठीक से पूछना तो था कि जा कहाँ रही हो। परेशान होकर ससुराल फोन लगाने का सोचा ही था कि नजदीकी शहर में रहने वाली उसकी पत्नी के फूफाजी का फोन आया कि आशा यहाँ आ गई है और उसे अपनी करनी का अहसास है, अफसोस है,हम सब उसकी ओर से आपसे क्षमा मांगते हैं, आपको समय हो तो आप लेने आ जाइये नहीं तो सुबह उसको ही भेज देंगे। आप कोई भी बात दिल पर मत लेना जमाई जी,सांसारिक जीवन में छोटी मोटी बातें होती ही रहती है, वो परेशान थी तो यहाँ आ गई,आप कतई बुरा नहीं मानिएगा। बस फिर क्या अगले दिन दोनों पति पत्नी अपनी कारगुजारी पर लंच बॉक्स की तरफ देखते खिलखिला कर हँसे जा रहे थे। #yostowrimo में आज की कहानी का विषय है - वापसी। यह वापसी किसी भी तरह की हो सकती है। कई बार हम निश्चय कर रखते हैं कि ऐसा ही करके लौटेंगे मगर ऐन वक़्त पर कुछ अलग ही निर्णय लेना पड़ता है और हम वापिस मुड़ जाते हैं। 
प्रेम से लेकर जीवन के विभिन्न व्यापार में ऐसा होता रहता है। 
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