यह कैसा नशा है, यह कैसी खुमारी है, कम नहीं हो रही, बढ़ती ही जा रही है! पता करो, इश्क-मोहब्बत ही है ना, कहीं पागल तो नहीं हो गया हूं, मैं! #मंमाधन #manmadhan