White मुक्तक महफिल तुम बिन लगती अब वीरान है बिन तेरे ये जीवन निर्जन सा सुनसान है यादें मृग से कुलाचे भरती सदा हीय में, जब से तुमने है छोड़ा हम अनजान है।। ©सुरेश अनजान #Sad_Status Dr Garima tyagi(अक्षरश : हिंदी साहित्य dg)