#HalfShayari जीत के जहां को भी मैने बाजी हारी है, क्यूंकि इसमें*खालिस*मसर्रते मर्जी तुम्हारी है//१*शुद्ध*खुशी
जिधर भी देखिए बस मारा मारी है,न जाने कैसे इस गुलशन में*खार_ए_बबूल की फुलवारी है//२
*कांटे*एक पेड़ है
अबतक जिन्होंने अपना ज़मीर बेचा है,कौड़ियों के दाम में,वो आज*बाउसूल पुर-वक़ारी है//३
*सिद्धांतवादी*साहूकारी
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