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मेरी है बस ख्वाहिश यही फिर से कोई तारा बनूँ मैं जा

मेरी है बस ख्वाहिश यही
फिर से कोई तारा बनूँ
मैं जागूँगा रात भर
तुम सोने की आदत डाल लो

बड़ी बरक्कत है इश्क में
जबसे हुआ तबसे बढ़ रहा
तुम्हें न लगे कोई नज़र
तुम काला धागा बाँध लो...  ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1006 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
मेरी है बस ख्वाहिश यही
फिर से कोई तारा बनूँ
मैं जागूँगा रात भर
तुम सोने की आदत डाल लो

बड़ी बरक्कत है इश्क में
जबसे हुआ तबसे बढ़ रहा
तुम्हें न लगे कोई नज़र
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