रातभर तो अब भी जगता हूँ मैं मगर तुझसे मुलाकात नहीं होती रातभर पढ़ता हूँ तेरे मैसिज पर अब तुझसे बात नहीं होती रातभर तो अब भी जगता हूँ मैं मगर तुझसे मुलाकात नहीं होती रातभर पढ़ता हूँ तेरे मैसिज पर अब तुझसे बात नहीं होती