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( 3 ) दु:खित हृदय से निकल रही माँ तेरी कोख से चीखत

( 3 )
दु:खित हृदय से निकल रही
माँ तेरी कोख से चीखती पुकार
कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं
अब सही ना जाये ये अत्याचार

भाइयों की कलाई मुझ बिन सुनी
सुना है करवा चौथ का त्योहार
आंगन गालियां मुझ बिन सुना
सुना है माँ तेरा द्वार

आज नारी नारीत्व से पूजी जाती है
तू यूँ न कर मेरा तिरस्कार
कभी हिमालय की शिखरों पर चढ़कर मैने आया है
तो कभी तेज हवाओं पर मैने अपना काबू पाया है

कभी संसद की सीढ़ियां चढ़ती
तो कहीं दूर आसमानों को भी अपने कदमों पर झुकाया है
कहीं लौटाया उद्योग जगत की बुलंदी
तो कहीं अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का पताका लहराया है

फिर भी क्यों
दु:खित हृदय से निकल रही
माँ तेरी कोख से चीखती पुकार

(next to be continued........) #कोख Dr.ShrutiGarg PT Anjali Goswami aman6.1 $Mahi..🙂 अरुणशुक्ल अर्जुन  vinodsaini
( 3 )
दु:खित हृदय से निकल रही
माँ तेरी कोख से चीखती पुकार
कब तक बचाऊं इन सांसों को मैं
अब सही ना जाये ये अत्याचार

भाइयों की कलाई मुझ बिन सुनी
सुना है करवा चौथ का त्योहार
आंगन गालियां मुझ बिन सुना
सुना है माँ तेरा द्वार

आज नारी नारीत्व से पूजी जाती है
तू यूँ न कर मेरा तिरस्कार
कभी हिमालय की शिखरों पर चढ़कर मैने आया है
तो कभी तेज हवाओं पर मैने अपना काबू पाया है

कभी संसद की सीढ़ियां चढ़ती
तो कहीं दूर आसमानों को भी अपने कदमों पर झुकाया है
कहीं लौटाया उद्योग जगत की बुलंदी
तो कहीं अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का पताका लहराया है

फिर भी क्यों
दु:खित हृदय से निकल रही
माँ तेरी कोख से चीखती पुकार

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mukeshpatel7365

Mukesh Patel

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