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हद से बढ़ने लगें हैं ताल्लुक अब कम मिलना चाहिए वो

हद से बढ़ने लगें हैं ताल्लुक अब कम मिलना चाहिए
वो हमें समझने लगे हैं शायद अब ग़म मिलना चाहिए

चूम कर चांदनी की बाहें,नीम अकेला रह गया
रात ने समेट ली थी चादर,चांद ठहरा रह गया

कहीं रास्तों से भटक न जाएं अब कम पीनी चाहिए
आग में मिला के आंसू,थोड़ी नम पीनी चाहिए

दिल की चोटों ने साकी,कभी न चैन से रहने दिया
हमनें भी पट्टी खोल दी थीऔर सारा ग़म बहने दिया

कब तक हम चलेंगे यूँ ही,कोई हद होनी चाहिए
दिल की दीवारों में कैद बेबसी की भी,कोई सरहद होनी चाहिए

बेताबियाँ बढ़ने लगीं है फिर से अब कम मिलना चाहिए
जब खिज़ाएं लौट आएं,थोड़ा ग़म मिलना चाहिए... 
© trehan abhishek








 #ताल्लुक #ग़म #manawoawaratha #hindipoetry #hindishayari #yqdidi #yqaestheticthoughts #lovestory
हद से बढ़ने लगें हैं ताल्लुक अब कम मिलना चाहिए
वो हमें समझने लगे हैं शायद अब ग़म मिलना चाहिए

चूम कर चांदनी की बाहें,नीम अकेला रह गया
रात ने समेट ली थी चादर,चांद ठहरा रह गया

कहीं रास्तों से भटक न जाएं अब कम पीनी चाहिए
आग में मिला के आंसू,थोड़ी नम पीनी चाहिए

दिल की चोटों ने साकी,कभी न चैन से रहने दिया
हमनें भी पट्टी खोल दी थीऔर सारा ग़म बहने दिया

कब तक हम चलेंगे यूँ ही,कोई हद होनी चाहिए
दिल की दीवारों में कैद बेबसी की भी,कोई सरहद होनी चाहिए

बेताबियाँ बढ़ने लगीं है फिर से अब कम मिलना चाहिए
जब खिज़ाएं लौट आएं,थोड़ा ग़म मिलना चाहिए... 
© trehan abhishek








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