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मेरे नसीब में यारों, ये कैसी सज़ा आ रही है, वो देखो

मेरे नसीब में यारों, ये कैसी सज़ा आ रही है,
वो देखो सज-संवर के मेरी क़ज़ा आ रही है।

ना सोचा ना समझा, दिल को तोड़ दिया था,
क्यूँ तुझे अब मेरे सनम, ये लज़ा आ रही है।

मेरे जीते-जी जिसने मार दिया था मुझे, वो,
चंद बची साँसों का लेने, जाइज़ा आ रही है।

देखा ना पलट के, मिरे सनम ने कभी भी,
बाद-ए-हयात, अब उसकी रज़ा आ रही है।

हवा भी देखो, हाल मेरा पूछने आ रही है,
तबाह कर के आशियां, लेने मज़ा आ रही है।

मज़ा ले लेने दे आखिरी दीदार का ए खुदा,
मिरे दिल से यही, अब इल्तज़ा आ रही है।

'इकराश़' जो सफर में सभी ने छोड़ दिया था,
मिरी माँ बन के देखो, अब वाइज़ा आ रही है। ये रचना मेरी ज़िंदगी की मेरे लिए सबसे अनमोल और करीबी है। और ये Siddharth भाई के बिना पूरी नहीं हो सकती थी। तो उन्हे उनके जन्मदिन पर ये मेरी तरफ से उपहार है।

इकराश़

*कज़ा - मौत
*लज़ा - लाज/ शर्म आना 
*बाद-ए-हयात - ज़िंदगी के बाद
*जाइज़ा - ज़ायज़ा लेना / inspection
मेरे नसीब में यारों, ये कैसी सज़ा आ रही है,
वो देखो सज-संवर के मेरी क़ज़ा आ रही है।

ना सोचा ना समझा, दिल को तोड़ दिया था,
क्यूँ तुझे अब मेरे सनम, ये लज़ा आ रही है।

मेरे जीते-जी जिसने मार दिया था मुझे, वो,
चंद बची साँसों का लेने, जाइज़ा आ रही है।

देखा ना पलट के, मिरे सनम ने कभी भी,
बाद-ए-हयात, अब उसकी रज़ा आ रही है।

हवा भी देखो, हाल मेरा पूछने आ रही है,
तबाह कर के आशियां, लेने मज़ा आ रही है।

मज़ा ले लेने दे आखिरी दीदार का ए खुदा,
मिरे दिल से यही, अब इल्तज़ा आ रही है।

'इकराश़' जो सफर में सभी ने छोड़ दिया था,
मिरी माँ बन के देखो, अब वाइज़ा आ रही है। ये रचना मेरी ज़िंदगी की मेरे लिए सबसे अनमोल और करीबी है। और ये Siddharth भाई के बिना पूरी नहीं हो सकती थी। तो उन्हे उनके जन्मदिन पर ये मेरी तरफ से उपहार है।

इकराश़

*कज़ा - मौत
*लज़ा - लाज/ शर्म आना 
*बाद-ए-हयात - ज़िंदगी के बाद
*जाइज़ा - ज़ायज़ा लेना / inspection