है एक नगरी आप यहीं जो जन्मभूमि है राम की, जो कर्मभूमि है श्री राम भक्त हनुमान की... है सरयू के तट पर पूरी नगरी बस राम राम ही गाती है विरह वियोग में राम के, व्यथा! बिछड़े राम को ही सुनाती है... ये चौदह वर्ष बीतेंगे तुम बिन कैसे, तुम ही हमें बताओ ना, जा रहे वनवास भार्या, अनुज, संग हमको भी ले जाओ ना।।2।। ले आलिंगन में कइयों को, आंखों में आसूं लिए राम छोड़ सभी को जाते हैं, दिया वचन पिता ने मां को ये सबको बतलाते है... इस विरह के वियोग में सब राम राम ही गाते हैं.।।2।। वनवास की ओर है अब चले राम, पिता के वचन का रखने मान, हाथों में लेकर हाथ सिया का, कर रहे हैं अब प्रस्थान राम... वन में आए राम, तोड़ी अहिल्या की प्रतीक्षा! धर्म को आधार दिया, शबरी के जूठे बेरों को खाकर, हरी ने उसको तार दिया... हुई एक भीषण घटना माता सीता का अपहरण हुआ, रूदन, कृंदन करते राम, वन से वन भटकते राम, हनुमान से मिलन हुआ, बाली का वध किए हैं राम, सुग्रीव सहित वानर लिए, सिया को खोजन चले हैं राम, सीता से मिलन को समुंद्र को भी पार किया, लड़ा रावण से युद्ध भीषण, पूरे कुल ही संहार किया... लिए सिया को चले अवध हैं, आशा ताकत हैं अवध के वासी, हर द्वार पर दीपक जलाए राम आस में भरमाती है, सरयू के तट पर एक नगरी बस राम राम! दोहराती है। बस राम राम! दोहराती है।।2।। ©Vivek Sharma Bhardwaj #दिवाली #दीपावली #राम #सीता #सीताराम #NojotoRamleela