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दो महा पुरुषों की याद ************** जब जब दो

दो महा पुरुषों की याद 
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जब  जब  दो  अक्टूबर  आए, 
दो महा पुरुषों की याद दिलाए,
दोनों  नेता  थे  बड़े  ही  महान,
दोनों   की   थी   अपनी  शान।

निर्मल  मन - ह्रदय दोनों  के थे,
और  दृढ़   संकल्प  दोनों  के थे,
दोनों   अपने  भारत   की  शान,
दोनों  को जाने  ये सारा जहान।

सत्य अहिंसा जिसने अपनाया था, 
उनके आगे दुश्मन भी घबराया था, 
कर्म  - पथ  के  थे  वो  दोनों  राही, 
हार  नहीं  कभी उन दोनों ने मानी, 

हम झुक कर उन को शीश नवाते, 
हम  सब  मिल  उनकी गाथा गाते, 
आज दिन फिर वही पावन  आया, 
दोनों महा पुरषों की  याद   लाया।

©Uma Vaishnav
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