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कल तक उड़ती थी जो मुंह तक, आज पैरों से लिपट गई चंद

कल तक उड़ती थी जो मुंह तक, आज पैरों से लिपट गई
चंद बूंदे क्या बरसी बरसात की, धुल की फितरत ही बदल गई।

©Sam
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Sam

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