कभी बातों बातों में भूल गया कभी जेसे मुझको भूला ना हो कभी ज़ख्मों पर मरहम बना कभी ज़ख्म दिया कि दवा ना हो कभी बातों बातों में रूठ गया कभी ऐसा रूठा कि वजह ना हो कभी शिकवा वो करता रहा कभी जेसे कोई गिला ना हो कभी ज़िन्दगी कि वजह बना कभी बे वजह जेसे वजह ना हो कभी बे शुमार था में शुमार में कभी जेसे मुझको गिना ना हो कभी मुझको उससे गिला नहीं कभी बाकी कोई गिला ना हो मैंने मांगा है उसको इस तरह जिसमें ना मांगा वो दुआ ना हो बातों बातों में भूल गया ।।