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मैं घर वापस आऊँगा एक दिन तुझे फिर अपनी बाहों में

मैं घर वापस आऊँगा

एक दिन तुझे फिर अपनी बाहों में सुलाऊंगा,
तेरे माथे को अपने अधरों से चुम जाऊँगा
तू भी याद करता होगा मुझे, जितना मैं करता हूँ,
मैं लौटकर एक दिन फिर वापस घर आऊंगा।
जाना पड़ता ही है एक दिन सबको अपनो से दूर,
कुछ मजबूरी थी, मैं भी था थोड़ा मजबूर,
लड़कर हालात से, हराकर इन सभी दुविधाओं को
मैं तेरे लिए आसमाँ से सितारे चुनकर लाऊंगा.।
बरसो से सोया नही जैसे मैं 'लाड़ले', 
तुझे एक मीठी सी लोरी सुनाऊंगा.. 
कई बरस से दूर हूँ, तुझे देखने को तरसा हूँ,
मैं तन्हा बहुत हूँ, तेरी याद में जिया करता हूँ,
बहुत याद है घर की, तेरी, तेरे माँ और अपने शहर की।
कैसे भूल जाऊं, जहाँ मैं खेला करता था,
उस आंगन को, बातें उस सुनी डगर की।
हँस नही पाया हूँ मैं अकेला होकर यहां,
तुमसे मिलकर मैं फिर से मुस्कुराउंगा।
मैं लौटकर एक दिन घर वापस आऊंगा।
मैं घर वापस आऊंगा, मैं घर वापस आऊंगा।। एक परदेश गए पिता/पति का अपने छोटे से बच्चे और पत्नि के लिए प्रेम संदेश।

#anaam
मैं घर वापस आऊँगा

एक दिन तुझे फिर अपनी बाहों में सुलाऊंगा,
तेरे माथे को अपने अधरों से चुम जाऊँगा
तू भी याद करता होगा मुझे, जितना मैं करता हूँ,
मैं लौटकर एक दिन फिर वापस घर आऊंगा।
जाना पड़ता ही है एक दिन सबको अपनो से दूर,
कुछ मजबूरी थी, मैं भी था थोड़ा मजबूर,
लड़कर हालात से, हराकर इन सभी दुविधाओं को
मैं तेरे लिए आसमाँ से सितारे चुनकर लाऊंगा.।
बरसो से सोया नही जैसे मैं 'लाड़ले', 
तुझे एक मीठी सी लोरी सुनाऊंगा.. 
कई बरस से दूर हूँ, तुझे देखने को तरसा हूँ,
मैं तन्हा बहुत हूँ, तेरी याद में जिया करता हूँ,
बहुत याद है घर की, तेरी, तेरे माँ और अपने शहर की।
कैसे भूल जाऊं, जहाँ मैं खेला करता था,
उस आंगन को, बातें उस सुनी डगर की।
हँस नही पाया हूँ मैं अकेला होकर यहां,
तुमसे मिलकर मैं फिर से मुस्कुराउंगा।
मैं लौटकर एक दिन घर वापस आऊंगा।
मैं घर वापस आऊंगा, मैं घर वापस आऊंगा।। एक परदेश गए पिता/पति का अपने छोटे से बच्चे और पत्नि के लिए प्रेम संदेश।

#anaam

एक परदेश गए पिता/पति का अपने छोटे से बच्चे और पत्नि के लिए प्रेम संदेश। #anaam #कविता