देखना है दर्द तो इस वक़्त बिहार देखा व्यवस्था हो रही किस तरह तार तार देखा शिक्षा चुन कर जीवन जीने की थी इक्छा ये क्या हाल कर दिया रही न अब जीने की ही इच्छा सकारात्मकता बाटने वाला कैसे नाकारात्मकता में हैं डूबा आंसुओं की बाढ़ से आज बिहार डूबा उम्मीदों को अब ग्रहण लग रही है अन्धकार में आज रौशनी खुद है डूबा शर्म क्यूँ नही आती कुछ कुर्सिवालों को मासूमो की ज़िन्दगी से क्यूँ खेल खेला इस कदर क्यूँ चौपट है व्यवस्था हमारी क्या ऐसे ही निभाई जाती है जिम्मेदारी? बंद कब होगा बिहार में खेला बिना भ्रस्टाचार भी कब होगा बहाली इस तरह शिक्षक जो सताया जायेगा बेचैनियों से यूँ जो शिक्षक मारा जायेगा देश का भविष्य सोचो फिर कहां जायेगा ? ©gudiya #शिक्षक #टीचर #teacher #samysyagrast teacher #Books