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चले थे शहरो की सैर करने पर सकून कहा मिला झोपडी थी

चले थे शहरो की सैर करने
पर सकून कहा मिला
झोपडी थी  टूटी पड़ी
असली खजाना वहा मिला
थे उसमे दो वर्द्ध पंछी
इक दूजे के सहारे थे वो
असली आशिआना वहा मिला
प्यार की डोर, और विश्वास
इनका बेजोड़ स्वाद वहा मिला
महल तो आखिर महल था
सकून तो उस झोपडी में मिला
कुर्बान कर दू ऐसी सादगी पर सब कुछ
काश मेरा महबूब भी यही मिला

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh #सैर
चले थे शहरो की सैर करने
पर सकून कहा मिला
झोपडी थी  टूटी पड़ी
असली खजाना वहा मिला
थे उसमे दो वर्द्ध पंछी
इक दूजे के सहारे थे वो
असली आशिआना वहा मिला
प्यार की डोर, और विश्वास
इनका बेजोड़ स्वाद वहा मिला
महल तो आखिर महल था
सकून तो उस झोपडी में मिला
कुर्बान कर दू ऐसी सादगी पर सब कुछ
काश मेरा महबूब भी यही मिला

राजोतिया भुवनेश

©Rajotiya Bhuwnesh #सैर