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चले थे जहाँ खुद का बनाने,,, आसिया को अपने तिनकों स

चले थे जहाँ खुद का बनाने,,,
आसिया को अपने तिनकों से सजाने,
वो पंछी तमाम दुष्वरियो के बाद,
चले थे अपनी दुनिया बसाने,, 
कई सपने थे मन मे उनके,,,
दुनिया मे कम थे अपने उनके,,
फिर भी हिम्मत उनमे इतनी थी,
कि जहाँ सब थक गए,,,
वहां वो चले अपना संसार बसाने,,,।। #nojoto#poetry#dil#ki#awaaj
चले थे जहाँ खुद का बनाने,,,
आसिया को अपने तिनकों से सजाने,
वो पंछी तमाम दुष्वरियो के बाद,
चले थे अपनी दुनिया बसाने,, 
कई सपने थे मन मे उनके,,,
दुनिया मे कम थे अपने उनके,,
फिर भी हिम्मत उनमे इतनी थी,
कि जहाँ सब थक गए,,,
वहां वो चले अपना संसार बसाने,,,।। #nojoto#poetry#dil#ki#awaaj
pat1060713175079

parijat

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