#OpenPoetry वो प्रचंड कारी थी वो मृदुला थी, वो कर्त्तव्य वाहिनी, वो मातृत्व स्वामिनी, वो भारत की रागिनी रग रग में उनके देशभक्ति दुर्गा चंडी जस था शक्ति, वाणी में जिसकी बुलंदी थी, माँ जैसी माया भी प्रतिबिंबित थी, अब देश मे तुझसा कोई नही, ऐसी कोई आँखे नही जो तुझे खो कर रोइ नही, #सुषमा जी एक कुशल युग का अंत विनम्र श्रद्धांजलि