बिछड़ते वक़्त दिल मे ज़हर न हो हम मिले ही क्यों थे ये वहम न हो सोच सोचके सफर में खुश रहे हम अब मंज़िल तुम नहीं तो गम न हो रिश्ता उस मोड़ पर ख़त्म करेंगें हम जुदा तो हों पर मोहब्बत कम न हो जितना हो सका रिश्ता निभाया है मैंने जैसी तुमसे हुई वैसी मोहब्बत किसी से न हो हाल तुम भी पूछना मेरा खैरियत मैं भी बताऊँगा दूर बेशक़ चली जाना याद रखना कहीं रिश्ता ख़त्म न हो Meri Kahani😍