◆◆◆◆◆ "तवायफ़" ◆◆◆◆◆ मेरे पेशे से न तुम ये मेरी पहचान करो, क्या हुआ "तवायफ़" हूँ यूँ भरी महफ़िल में न मेरा अपमान करो, माना बहलाना तुम सबकी गन्दी नजरो को काम है मेरा, मग़र यूँ टक टकी लगा कर न मुझे बदनाम करो, , मेरी ज़िस्म पे मरने वाले रूह मेरी भी है सपने मेरे भी है, तुम सबको नाच दिखा कर अकेली घण्टों रोती हूँ, एक बार मेरी जगह खुद को रख कर मेरी रूह के रुख़ की तो पहचान करो, नाचने वाली, वैश्य, न जाने क्या - क्या नाम देते हो मुझे, उसी ख़ुदा की बन्दी मैं भी हूँ और उसी ख़ुदा के बन्दे तुम भी, कुछ तो शर्म करो उस ख़ुदा की बन्दगी को तो न यूँ वीरान करो, मेरे पेशे से मुझे पहचानने वालो, मेरे जज्बातों पे न वार करो, माना हूँ "तवायफ़" पर सपने मेरे भी है , आज़ादी मैं भी चाहती हूँ, यूँ मेरे पेशे से न तुम सब मेरी कोई पहचान करो, अपनी ज़िस्म की ख़्वाहिश मिटाने वालो, मुझे भरी महफ़िल में न नीलाम करो, मुझे यूँ न तुम बदनाम करो !!!!!! A.S #NojotoQuote