बहकने की उम्र में हम संभले-संभले फिरते थे... अब थाह की उम्र में बहकने का दिल करता है! नाज़ुक बड़ा ही ये दौर है... तब लोग कहते रहते थे, थोड़ा और जीने की चाह ले दिल बच्चा ही रहता है! बहकने की उम्र में हम संभले-संभले फिरते थे... अब थाह की उम्र में बहकने का दिल करता है! नाज़ुक बड़ा ही ये दौर है... तब लोग कहते रहते थे, थोड़ा और जीने की चाह ले दिल बच्चा ही रहता है! Shree #lovepoemsarebest #पता_नहीं_क्या 🧐