बंद करो ये धर्म और जाति का खेल खेलना, आखिर कब तक तुम ऐसे, दूसरों का दिल दुखाओगे. उठो, और ऊंँच-नीच की भावना खत्म करो, ईश्वर से तुम भला नजरें कैसे मिला पाओगे. दिल के साफ़ और स्वच्छ बनो तुम, किसी भी व्यक्ति को धर्म और जाति से तौलना बंद करो, ख़ुश रहोगे सदा, जो इस रीत को सदैव निभाओगे. बाबा साहेब की जयंती के अवसर पर निरमा काव्य मंच ⭐ एक प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है। Lock down की वजह से हम बाबा साहेब की जयंती घर पर ही रह कर मनानी होगी तो फिर देर किसमें आइये भारत के कोने कोने में बसे रचनाकारो के साथ बाबा साहब को नमन करे। Collab बनाकर comment में 'नमन' लिखे।