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ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत जो तू सह रहा है

ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत 
जो तू सह रहा है 
वो तुझे आगे और बढ़ाएगा
कौन सी बड़ी बात हो गयी
ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत 
तेरे हाथ खाली हुए तो क्या हुआ
ये उदासी भी खुशी में बदल जाएगी
ज़िंदगी एक दिन तुझ से ज़रूर मुस्कुरायेगी
ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत 
तेरे कदम बस आगे बढ़ते रहने चाहिए
मन्ज़िल के निशान वो देखो तुझे बुला रहे है
ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत 
कामियाबी तुज़े गले लगाने के लिए तरस रही है
ज़्यादा सोचो मत ज़िंदगी को कोसो मत

©Shayari by Sanjay T
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