चूमकर पेशानी तेरी मैं तेरा हो जाऊँ आज सनम तुझे अपना बना लूँ सुरमई लगी है शाम आज पहली दफ़ा मुझे जाँ इसे और रंगी बना लूँ दरमियाँ नहीं आज कोई बाहों के दायरे में लेकर तुझे मेरी जाँ हर फासला हटा दूँ साँसें सरगोशियाँ करती रहें लबों पर लिखूँ मैं प्रेम कविता तेरे नाम को मैं नगमा बना लूँ चूमकर पेशानी तेरी मैं तेरा हो जाऊँ आज सनम तुझे अपना बना लूँ सुरमई लगी है शाम आज पहली दफ़ा मुझे जाँ इसे और रंगी बना लूँ