अमीरों के महफिल में हम गरीब सहमें से खरे थे चमक फीकी थी उनके लिवास से हमारी हम छोटे लोग अपनी मिट्टी से जो परे थे उन्होनें हमसे दूरी बना ली गंदा समझकर हम बेशर्म फिर भी आँखें गीराए अड़े थे सुनों........ फिर भी शिकायत नहीं हमें ...उस खुदा से.... हम तो इनके .... गंदे सोच से डरे थे... !!! My best ever ## it's not fiction ##reality