कोयले के लिए लाखों पेड़ों को मौत की नींद सुला रहे हो अरण्य के जंगल को अपनी आरी और कुल्हाड़ी से डरा रहे हो विकास की राह में पर्यावरण की ही जीवित बलि चढ़ा रहे हो छ.ग.के फेफड़े को ऑक्सीजन सिलेंडर का मास्क पहना रहे हो मैंने सही सुना है बुजुर्गों से लोग पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं और तुम तो सीधे ही सीने पर बेरहम कुल्हाड़ी चला रहे हो नेक नीयत की सरकारें जब इतने सुनहरे ख्वाब आंखों को दिखाती है ऐसी संकट की घड़ी में आदिवासियों की आंखों में नींद कहां आती है निजी कंपनियां इन आदिवासी बाहुल इलाकों पर अपनी गिद्ध नज़र गड़ाती है राजस्थान के लिए बिजली आपूर्ति की समस्या जहां सूरसा सा मुंह फैलाती है वहीं बिजली के लिए कोयला और कोयले के लिए पेड़ कटाई का गणित बैठाती है समस्या अत्यंत गंभीर है जो सरकारों की कार्यशैली पर प्रतिपल यक्ष प्रश्न उठाती है प्रकृति के प्रणेता प्रकृति के लिए प्राणघातक प्रतिनायक वाला प्रतिमान दिखा रहे हो पानी नहीं होगा हवा नहीं होगी सोचो तुम मौत को कितने करीब से आजमा रहे हो सरकारों के चुभते फैसले वहां रहने वालों के दिलों को बहुत आहत पहुंचाती है सुरक्षित रहेगा"जल, जंगल और ज़मीन"के वादों से जनता जब जबरदस्त धोखा खाती है "मत छीनो हमारा अधिकार"के नारों से संकट की काली घनघोर घटा छाती है "अरण्य में प्रवेश वर्जित है"की सूचना आदिवासियों को दिन रात सताती है सरकारें गूंगी, बहरी,अंधी, लंगड़ी और विकलांग नहीं दिव्यांग है यही बात बताती है दो लाख पेड़ों के कटाई की भरपाई वाली बात न्यायालय की समझ से भी परे हो जाती है हे स्वार्थसिद्धि हस्त ! संसाधन के लोभ में सारा का सारा पारिस्थितिक तंत्र ही हिला रहे हो अपनी सांसों का सौदा कोयला सौदागरों के हाथों में करके मुस्कुरा रहे हो अजी लाखों घरों को विस्थापन की समस्या खून के आंसू रोज रुलाती है जंगल से जीवन यापन होता था किसी का आज ये कहानी मां बच्चे को सुनाती है धरना, हड़ताल, प्रदर्शन, आंदोलन,पद यात्रा, रैली ये सब सरकारों को परेशान कराती है जब सरकारें ही रक्षक से भक्षक बने तो खुदा जाने कौन सी बला जान बचाती है कुछ लोगों के लिए अरण्य केवल कोयला है और बहुत लोगों के लिए अरण्य जीवन का साथ निभाती है "आदित्य"लिख तो रहा है अरण्य की कहानी जो कविता बनकर समस्या की लौ जलाती है मेरी कविता क्या तुम स्वप्न में डूबे निश्चेतन पथभ्रष्ट सरकारों को जगा रहे हो हे सजग कृतिकार! क्या तुम प्रशासन को न्यायसंगत सद्मार्ग पर खींचकर ला रहे हो ©Aditya Kumar Bharti #अरण्य बचाओ #Trees