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बज़्म-ए-जानाँ |

 बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे 
किस से मिलती है नज़र उन की नज़र देखेंगे

अब न पलकों पे टिको टूट के बरसो अश्कों
उन का कहना है कि हम दीदा-ए-तर देखेंगे

दोस्तों ग़ज़ल और शेरो शायरी की महफिल फिर जमेगी.. अपने सीट की पेटी बांध लीजिए और हो जाइए तैयार... मैं शशांक त्रिपाठी "निहार" आपका दोस्त/ भाई ले कर आ रहा हूं बज़्म-ए-जानाँ...
 बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे 
किस से मिलती है नज़र उन की नज़र देखेंगे

अब न पलकों पे टिको टूट के बरसो अश्कों
उन का कहना है कि हम दीदा-ए-तर देखेंगे

दोस्तों ग़ज़ल और शेरो शायरी की महफिल फिर जमेगी.. अपने सीट की पेटी बांध लीजिए और हो जाइए तैयार... मैं शशांक त्रिपाठी "निहार" आपका दोस्त/ भाई ले कर आ रहा हूं बज़्म-ए-जानाँ...

बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे किस से मिलती है नज़र उन की नज़र देखेंगे अब न पलकों पे टिको टूट के बरसो अश्कों उन का कहना है कि हम दीदा-ए-तर देखेंगे दोस्तों ग़ज़ल और शेरो शायरी की महफिल फिर जमेगी.. अपने सीट की पेटी बांध लीजिए और हो जाइए तैयार... मैं शशांक त्रिपाठी "निहार" आपका दोस्त/ भाई ले कर आ रहा हूं बज़्म-ए-जानाँ...

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