बज़्म-ए-जानाँ में मोहब्बत का असर देखेंगे
किस से मिलती है नज़र उन की नज़र देखेंगे
अब न पलकों पे टिको टूट के बरसो अश्कों
उन का कहना है कि हम दीदा-ए-तर देखेंगे
दोस्तों ग़ज़ल और शेरो शायरी की महफिल फिर जमेगी.. अपने सीट की पेटी बांध लीजिए और हो जाइए तैयार... मैं शशांक त्रिपाठी "निहार" आपका दोस्त/ भाई ले कर आ रहा हूं बज़्म-ए-जानाँ...