क़िस्मत मुझसे फ़रेब कर दर्द और ग़म दे गई। लबों की ख़ामोशी संग आँखें मेरी नम हो गईं। लबों की ख़ामोशी मेरी नज़रें शोर कर गईं। एक बेवफ़ा से मोहब्बत ज़िन्दगी की सुकून ले गई। अब यही ख़ामोशी मेरी ज़िन्दगी बन गई। तन्हाई में ज़िन्दगी अब कटने लग गई। दिलों की दूरियाँ अब घटती या मिटती ही रह गईं। ख़ामोशी हमारी ज़िन्दगी की मज़बूरी बन गई। इस ख़ामोशी के पीछे ज़िन्दगी उलझती गई। दुनिया मेरी ख़ामोशी का फ़साना ढूंँढ़ती रह गई। लब ख़ामोशी से कई सवाल और राज़ छुपा गई। आँखें सारे ज़माने को ख़ामोशी की वजह बता गईं। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1015 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।