नौबतखाने में ताबीर ए हया कैसे बयां करें अम्मी की आवाज सुन सीधा नीचे हम गिरे शिकायत अब्बू से होगी डरकर नौबत ही छिपा दी हमने शैतान दिल राजी न हुआ हम फिर उसे ही ढूंढते फिरे नौबतखाना-फाटक/द्वार, ताबीर ए हया-शर्म से भरे हुए सपनों के नतीजे, नौबत-राजदरबार में बजने वाली शहनाई शायर आयुष कुमार गौतम नौबतखाने में..................