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उड़ता हूँ और भटकता हूँ दिन भर पथ में ही सुलगता

उड़ता हूँ 
और भटकता हूँ 
दिन भर पथ में ही 
सुलगता हूँ 

पर अच्छा नहीं लगता 
जब तक 
लौट कर देख न लूँ कि तुम हो, 
तुम । शंख नाद
उड़ता हूँ 
और भटकता हूँ 
दिन भर पथ में ही 
सुलगता हूँ 

पर अच्छा नहीं लगता 
जब तक 
लौट कर देख न लूँ कि तुम हो, 
तुम । शंख नाद