तुम मिलो इसकदर इसकदर न मिलो अपनों की क़द्र क्या ये तुम भूल जाओ। दोस्ताना करो, गर बेईमानो से इमानदारी की उम्मीद क्या ये तुम भूल जाओ। हम यही है, तुम यही हो अपनी सफाई में, दो लब बोल जाओ और जो लग रहा ये लोग सब भूल गए ऐसा है ये तुम भूल जाओ। कभी कर्म करो तो उसे नादानी मत बतलाना यह लोग है इन्हें पागल मत ठहराना। मैं और मेरी बाते... कुछ बात बताना बाकी है कईयों को समझाना बाकी है अरे कब तक चुप रहूं मैं इंसान हो इंसानियत का फ़र्ज़ निभाना बाकी है कुछ बात है जो बताना बाकी है।