वो अपने गांव की रस्में निभा के सोते हैं गरीब लोग चटाई बिछा के सोते हैं उन्हें कुबूल नहीं है हराम का बिस्तर वो अपने हाथ को तकिया बना के सोते हैं ©MS KHIZAR गरीबों का रहन-सहन