खुद से खुद की पहचान करने मुझे हवेली जाना पड़ा। अपनी यादों के पिटारे को ढूंढने ,थोड़ी खुशियों, थोड़ा गम ,अपनी कला, अपना हूनर जो बन्द कर दिया था पिटारे में। उस झूठे प्यार के लिए जो कभी अपना था ही नहीं। जो अपने थे उन्होंने कभी हक जताया ही नहीं। इतु से पैग़ाम पहचान के नाम, यादों से खुद के पहचान करने, एक कदम खुद से लड़ने अंधेरे से निकलने। #nojoto #yaade