सुन मेरे प्यारे साथिया.. कर दे मुझे माफ़ देदे माफ़िया! मैंने तुझे ना किया परेशान सब.. है आँखों की गुस्ताख़ियाँ! हर लम्हा तेरा ज़िक्र ज़बान पर- तेरे चहरे पर टिकी रहती मेरी अखियाँ! मासूम सा रूप मीठी-मीठी तेरी बतियां! सारा दिन बेचैन रहती जगती सारी रतियाँ! तेरे संग एहसासों का रिश्ता है सनम.. दुआ है ख़ुदा से कभी ना आए दूरियाँ! सुप्रभात, 🌼🌼🌼🌼 🌼आज का हमारा विषय "आँखों की गुस्ताख़ियांँ" बहुत ख़ूबसूरत है, आशा है आप लोगों को टॉपिक पसंद आएगा। 🌼आप सब सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए लिखना आरंभ कीजिए।