सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर पहला सपना नाम तुम्हारा जुड़ा हो मुझसे कहीं किसी कागज़ पर मैं तेरा कहलाऊँ अब ये केवल नाम मात्र का स्वप्न है मेरा झूठ से आखिर कब तक ये ह्रदय बहलाऊँ बंद लिफ़ाफ़े में मैं तुमको भेजूँगा कागज़ पर उस ह्रदय की मिट्टी लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर दूजा सपना एक कमरे की छत के नीचे तू मेरा जीवन बनकर सुख दुःख बाँटे लेकिन अब क्या लाभ तुम्हारा इस सपने से तुमने तो महलों में हैं अब वर्षों काटे कष्ट तुम्हें अपने वैभव में होगा भी क्या भेजूँगा तुमको मैं इतनी विनती लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर और एक सपना कि तुम मुझको अपना बोलो तुमने नहीं कहा सबके आगे इस जीवन में और अब इसके बारे में क्या बात कहूँ आशा मुझको नहीं अभागे इस जीवन में जल जाने दी मैंने ऐसी आशा जिसमें भाग्य की वो ही अग्नि वाली भट्टी लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर सारे सपने जब तुम मुझको वापस भेजो अपने ह्रदय की मिट्टी तुम भी लिख देना मेरा ह्रदय रखने हेतु कुछ भी लिखना तुम एक छोटी सी चिट्ठी तुम भी लिख देना अंत में इतना लिखना प्रेम मिले सबको मिले भले ही बदले में सृष्टि लिखकर सारे सपने वापस मँगवा लूँ तुमसे अपने सोच रहा हूँ तुमको इक दिन चिठ्ठी लिखकर ©Ks Vishal चिट्ठी लिखकर