20 से इक्कीस निकला 2021 20 से 21 है 2021 2021 साल के शुरुआत में तो लग रहा था कि कोरोना गया ही समझो बस। मास्क हट गए थे और सोशियल डिस्टेंसिंग भी और सेनिटाइजर भी। धीरे धीरे हम उबरने की कोशिश कर रहे थे,एक्जाम्स की तैयारी जोरों पर थी और शादियों की भी। कामकाज, प्रोडक्शन और सप्लाई चैन ट्रैक पकड़ रही थी और लगभग सब सही राह पर थे कि अचानक मार्च एंडिंग आते आते जैसे फिर से फ्लेशबैक 2020 में चले गए... होली के जाते ही राज्यों में सिलसिलेवार तरीके से लॉकडाउन या कड़े प्रतिबंध लगाना शुरु हो गए जो अप्रेल के पहले सप्ताह में ही सब कुछ बंद जैसा हो गया। परीक्षाओं पर तलवारें लटक गई और कलयुग में परीक्षा लेने वाले परीक्षार्थियों से ज्यादा परेशान दिखे। शादियों के घर में डर फैलता गया कि मेहमानों की लिस्ट छोटी करनी है और अपने जिले का कानून कायदा पढ़ना ताकि समझे कि शादी तयशुदा होटल/रिसोर्ट/वाटिका में ही होनी है या उँगली पर गिनने जितने मेहमान बुलाकर घर में ही फेरे लगवाने है। दुकानदारों की आज तक किसी सरकार ने सुध ही नहीं ली तो दुकानदार भी जहाँ जैसे संभव हो उस तरीके से अपना व्यापार बड़ी मुश्किल से, चुनौतीपूर्ण हालात में अपनी जान जोखिम में डालकर ग्राहक की सेवा और परिवार की सेवा दोनों कर रहा है। खर्चे तो चालू ही रहेंगे, सरकार दुकाने चाहे बंद करवा दे,सरकार कभी मध्यम वर्ग के कष्ट और जिजीविषा समझ ही नहीं पाई। वर्क फ्रॉम होम जिनको 2020 से ही सेट हो गया उनके लिए कोई विशेष बदलाव अभी नहीं लगेंगे क्योंकि काम भी करना है और तनख्वाह भी आ रही है तो लगे रहो इंडिया।