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मेरी पहचान। [पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़ें।] कभी

मेरी पहचान।

[पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़ें।]  कभी कभी सोचती हूँ,
मैं कौन हूँ।
क्या मुझे ही सबको समझना है,
क्या मुझे ही हर बार पहल करनी है,
चाहती तो मैं भी हूँ,
कि तुम पहल करो,
कुछ अपनी कहो,
कुछ मेरी सुनो।
मेरी पहचान।

[पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़ें।]  कभी कभी सोचती हूँ,
मैं कौन हूँ।
क्या मुझे ही सबको समझना है,
क्या मुझे ही हर बार पहल करनी है,
चाहती तो मैं भी हूँ,
कि तुम पहल करो,
कुछ अपनी कहो,
कुछ मेरी सुनो।

कभी कभी सोचती हूँ, मैं कौन हूँ। क्या मुझे ही सबको समझना है, क्या मुझे ही हर बार पहल करनी है, चाहती तो मैं भी हूँ, कि तुम पहल करो, कुछ अपनी कहो, कुछ मेरी सुनो। #lifequotes #LifeStory #roohiwrites #lifestorynow