कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर(समराथल) जाग्यो सोई*
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
कबीर परमेश्वर जी अब्राहिम अधम सुल्तान जी को मिले और सार शब्द का उपदेश कराया।
कबीर सागर के अध्याय " सुल्तान बोध" में पृष्ठ 62 पर प्रमाण है:-
प्रथम पान प्रवाना लेई। पीछे सार शब्द तोई देई।।
तब सतगुरु ने अलख लखाया। करी परतीत परम पद पाया।।