लगता है इस महामारी में लगता है इस वीराने में, हम तुमको छुपाए बैठे है दर्द का मौसम बीत गया है, हम आंसू बाह्य बैठे है। लगता है इस शहर में , टूटे फूटे मकान बहुत है जो गुज़रने नहीं देते बुरे वक़्त को "तनहा", आज हम भी एक मकान बनाये बैठे है। लगता है इस वीराने में, हम तुमको छुपाए बैठे है। लगता है इस दुनियां में , भूख और गरीबी बहुत है तभी आज भी तनहा कुछ अमीर, दौलत दबाये बैठे है। दर्द का मौसम बीत गया है, हम आंसू बाह्य बैठे है। लगता है इस महामारी में, कुछ बुझी हुई आँखें देख रही है और कुछ के चेहरों पर चमक, चमक रही है , पर जाने क्यों आँखें झुकाये पलके बिगाये बैठे है। लगता है इस वीराने में, हम तुमको छुपाए बैठे है। ©तनहा शायर हूँ १८/०४/२०२० Lagta hai #tanhashayarhuyash pls like share and Comments beautiful Shayari