सिर पर गागर रखे छोटी-छोटी बालिकाओं का समूह किसी गाँव के रास्ते की तरफ बढ़ रहा था उन लड़कियों में सबसे आगे चलने वाली लड़की तेज कदमों से चल रही थी शाम को खेतों से लौटती महिलाएँ बालिकाओं के समूह को देख कर अपना बचपन याद कर रही थी। "आ गयी तू" "हाँ ईजा (माँ) !" 'देख तो बल तेरे पिताजी कब से बाट(रास्ता) देख रहे थे कि तू कब आएगी और चाय बनाएगी उनकी चाय का टैम हो गया है।'