ये दोस्ती भी क्या चीज है हर गम को भुला देते है साथ रहो इनके तो हर गम तक बांट लेते हैं ये दो दिनों का अवकाश भी पता नही कैसे गुजर गया जैसे लगता है अभी अभी महफ़िल से लौटे हैं यार की यारी