उसकी ही ज़िन्दगी में जीनत रहती है आस-पास जिसके मोहब्बत रहती है कोई डाली जब लद जाती है फूलों से उसमें फिर थोड़ी सी लचक रहती है मैं जानता हूँ वो इश्क नहीं हवादिस था तुझे भूलने की अक्सर कोशिश रहती है जब तक रहता है अंजान कोई शख़्स तब तक ही यहाँ उसकी कीमत रहती है सिर्फ वो लोग दुनिया में पाते हैं मंजिल क़दमों में जिनके ज्यादा जुर्रत रहती है बदल गया दिसम्बर पहले जैसा नहीं रहा इसकी फिज़ा में अब दर्द की सूरत रहती है मेरी आँखों में कुछ नए कुछ जर्द ख़्वाब हैं मुसाफिर को बनने टूटने की आदत रहती है ©KaushalAlmora #दिसम्बरwithkaushalalmora #आदत #yqdidi #decemberpoem #love #मुसाफिर #ज़ीनत #हवादिस