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अच्छा होता हम.. रोजगार की बात करते! हर हाथ को.. का

अच्छा होता हम..
रोजगार की बात करते!
हर हाथ को..
काम का सौगात देते!
कड़ियां जोड़ते..
चुन चुन कर उद्योग का!
खुशहाली का संबृद्धि का..
संसाधन का जाल बुनते!
आरक्षण का हवा..
निकाल देते!
काम होता हर तरफ़!
शान से हम काम..
अस्वीकारने की बात करते!
उत्तम होता है खेती और
खुद उद्योमी बन कर..
सरकारी से नौकरी से..
तोबा तोबा करते!
कर के आविष्कार नये नये!
जग में हम भी कमाल करते!
होता भाईचारा धर्म पथ पर..
शांतमन से प्रभू का नाम लेते!
अंधविश्वास न बनता रोडा!
जाति वैमनस्यता को.. 
दिल से निकाल देते!
ज़िंदाबाद मुर्दाबाद करता कौन??
देश को स्वर्ग से सुन्दर कर लेते!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 अच्छा होता हम..
रोजगार की बात करते!
हर हाथ को..
काम का सौगात देते!
कड़ियां जोड़ते..
चुन चुन कर उद्योग का!
खुशहाली का संबृद्धि का..
संसाधन का जाल बुनते!
अच्छा होता हम..
रोजगार की बात करते!
हर हाथ को..
काम का सौगात देते!
कड़ियां जोड़ते..
चुन चुन कर उद्योग का!
खुशहाली का संबृद्धि का..
संसाधन का जाल बुनते!
आरक्षण का हवा..
निकाल देते!
काम होता हर तरफ़!
शान से हम काम..
अस्वीकारने की बात करते!
उत्तम होता है खेती और
खुद उद्योमी बन कर..
सरकारी से नौकरी से..
तोबा तोबा करते!
कर के आविष्कार नये नये!
जग में हम भी कमाल करते!
होता भाईचारा धर्म पथ पर..
शांतमन से प्रभू का नाम लेते!
अंधविश्वास न बनता रोडा!
जाति वैमनस्यता को.. 
दिल से निकाल देते!
ज़िंदाबाद मुर्दाबाद करता कौन??
देश को स्वर्ग से सुन्दर कर लेते!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
8840812718 अच्छा होता हम..
रोजगार की बात करते!
हर हाथ को..
काम का सौगात देते!
कड़ियां जोड़ते..
चुन चुन कर उद्योग का!
खुशहाली का संबृद्धि का..
संसाधन का जाल बुनते!