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मैं ओस की बूंद की तरह सूर्योदय में प्रज्योलित हुआ

मैं ओस की बूंद की तरह सूर्योदय में
प्रज्योलित हुआ फिर धूप में सूखता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

सबको अपना बनाया और मैं गैर बनता रहा,
कुछ इस तरह मैं ख़ुदको खुदसे पराया बनाता रहा।
सबके ज़ख्मों पे मरहम मैंने शिद्दत से लगाया
और रस्म-ए-दुनिया तो देखो मुझे ज़ख्म ज़ख्म मिलता रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

सबको ख़ुश करते करते मैं ग़म की घूँट पीता रहा,
कोई सुनने वाला न मिला तो मैं दर्द अपने ख़ुदसे बयाँ करता रहा।
धोखे सहते सहते भरोसे का घर मेरा उजड़ता रहा,
इस तरह मेरा जिस्म-ओ-जाँ कतरा कतरा बिखरता रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

लोगों की महफ़िल मैं अक्सर सजाता रहा,
और भरी महफ़िल में भी तनहा मैं होता रहा।
हमेशा ही लोगों दर्द बांटे हैं मैंने लेकिन,
जो भी ज़िन्दगी में आया मुझपर दर्द लुटाता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

लोगों से धीरे धीरे मैं ख़ामोशी से दूर होता रहा,
दिल में दर्द का बोझ लिए मैं ज़िन्दगी से दूर होता रहा।
अब मुमकिन नहीं है लौट आना ए ज़िन्दगी तेरे पास,
अब मौत के दहलीज़ में हूँ खड़ा, सीने से उसे लगाने चल रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।
कहा-सुना माफ़, सारे गीले शिकवे समाप्त।
🙏🙏🙏अलविदा🙏🙏🙏

©Ajayy Kumar Mahato मैं #ओस  की बूंद की तरह सूर्योदय में
प्रज्योलित हुआ फिर धूप में सूखता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम #कोशिश करता रहा।।

सबको अपना बनाया और मैं गैर बनता रहा,
कुछ इस तरह मैं ख़ुदको खुदसे पराया बनाता रहा।
सबके ज़ख्मों पे मरहम मैंने शिद्दत से लगाया
मैं ओस की बूंद की तरह सूर्योदय में
प्रज्योलित हुआ फिर धूप में सूखता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

सबको अपना बनाया और मैं गैर बनता रहा,
कुछ इस तरह मैं ख़ुदको खुदसे पराया बनाता रहा।
सबके ज़ख्मों पे मरहम मैंने शिद्दत से लगाया
और रस्म-ए-दुनिया तो देखो मुझे ज़ख्म ज़ख्म मिलता रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

सबको ख़ुश करते करते मैं ग़म की घूँट पीता रहा,
कोई सुनने वाला न मिला तो मैं दर्द अपने ख़ुदसे बयाँ करता रहा।
धोखे सहते सहते भरोसे का घर मेरा उजड़ता रहा,
इस तरह मेरा जिस्म-ओ-जाँ कतरा कतरा बिखरता रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

लोगों की महफ़िल मैं अक्सर सजाता रहा,
और भरी महफ़िल में भी तनहा मैं होता रहा।
हमेशा ही लोगों दर्द बांटे हैं मैंने लेकिन,
जो भी ज़िन्दगी में आया मुझपर दर्द लुटाता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।

लोगों से धीरे धीरे मैं ख़ामोशी से दूर होता रहा,
दिल में दर्द का बोझ लिए मैं ज़िन्दगी से दूर होता रहा।
अब मुमकिन नहीं है लौट आना ए ज़िन्दगी तेरे पास,
अब मौत के दहलीज़ में हूँ खड़ा, सीने से उसे लगाने चल रहा।।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम कोशिश करता रहा।।
कहा-सुना माफ़, सारे गीले शिकवे समाप्त।
🙏🙏🙏अलविदा🙏🙏🙏

©Ajayy Kumar Mahato मैं #ओस  की बूंद की तरह सूर्योदय में
प्रज्योलित हुआ फिर धूप में सूखता रहा।
उम्रभर कभी खुशियाँ नसीब न हुयीं हमें,
ताउम्र खुशियों को पाने की नाक़ाम #कोशिश करता रहा।।

सबको अपना बनाया और मैं गैर बनता रहा,
कुछ इस तरह मैं ख़ुदको खुदसे पराया बनाता रहा।
सबके ज़ख्मों पे मरहम मैंने शिद्दत से लगाया